बचपन से ही मम्मी और नानी को त्रिफला की तारीफ करते सुना है। जब भी कभी पेट थोड़ा सा भी गड़बड़ होता, तो त्रिफला लेने की सलाह मिलती। अंदर ही अंदर जिज्ञासा रहती कि आखिर इसमें ऐसा क्या है जो सब इसकी इतनी तारीफ करते हैं।
इसलिए मैंने खुद इसे आजमाने का सोचा — लेकिन बिना जानकारी के नहीं। शुरुआत करने से पहले मैंने खुद ही इसके बारे में रिसर्च की। और फिर क्या था, गूगल बाबा की मदद ली और त्रिफला के बारे में ढेर सारी जानकारी मिली।
पता चला कि त्रिफला तीन फलों का मिश्रण होता है — आंवला, बहेड़ा और हरड़। आयुर्वेद में इन्हें अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा जाता है।
सेवन के चार-पांच दिनों में ही कुछ हल्के बदलाव महसूस होने लगे। ऐसा लगा जैसे त्वचा थोड़ी साफ और चमकदार लग रही है। दो हफ्ते के अंदर ही अंदर शरीर में कई पॉजिटिव बदलाव दिखने लगे। सिर्फ स्किन ही नहीं, बल्कि एनर्जी भी बेहतर महसूस होने लगी। ऐसा लगा जैसे शरीर अंदर से डिटॉक्स हो रहा हो।”

त्रिफला चूर्ण क्या है और इसे तैयार कैसे किया जाता है ?
त्रिफला क्या है, ये इसके नाम से ही समझ में आ जाता है — ‘त्रि’ यानी तीन, और ‘फला’ यानी फल। यानी त्रिफला तीन फलों का मिश्रण है।
अब जानते हैं कि ये तीन फल कौन-कौन से होते हैं और किस अनुपात में इनका उपयोग किया जाता है।
त्रिफला में तीन औषधीय फलों का मिश्रण होता है — आंवला, बहेड़ा और हरड़। आयुर्वेद में इन्हें क्रमशः अमलकी, विभीतक और हरितकी कहा जाता है। इन फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाया जाता है और फिर पारंपरिक रूप से इन्हें 1:2:3 के अनुपात में मिलाया जाता है — यानी हरड़ 1 भाग, बहेड़ा 2 भाग और आंवला 3 भाग।
यही मिश्रण त्रिफला चूर्ण के रूप में उपयोग किया जाता है। हालांकि, विभिन्न ग्रंथों में इसका अनुपात थोड़ा-बहुत अलग भी हो सकता है, क्योंकि यह परंपरा, उद्देश्य और तरीका — तीनों पर निर्भर करता है।

1. त्रिफला खाए और पेट को रखें स्वस्थ :-
पेट की बात हो और त्रिफला का ज़िक्र न हो — ये तो जैसे मुमकिन ही नहीं! त्रिफला में नैचुरल रेचक गुण होते हैं, जिसकी वजह से इसे लंबे समय से आंतों की सफाई और नियमितता बनाए रखने के लिए आज़माया जाता रहा है।”
इसके साथ ही, त्रिफला का सेवन पारंपरिक रूप से पाचन से जुड़ी दिक्कतों जैसे गैस, पेट भारी लगना, ब्लोटिंग या अपच की स्थिति में मददगार माना गया है। तो अगली बार अगर पेट को लेकर कोई असहजता महसूस हो, तो एक बार त्रिफला को ज़रूर याद कीजिए।
नियमित रूप से त्रिफला का सेवन आंतों की सफाई और शरीर को अंदर से हल्का महसूस कराने में सहायक हो सकता है।
2. त्रिफला खाएं और घर बैठे वजन घटायें :-
फैट बर्निंग की बात हो और त्रिफला का ज़िक्र न हो- आयुर्वेद में ऐसा शायद ही कभी होता है। त्रिफला एक बेहद प्रसिद्ध आयुर्वेदिक संयोजन है, और शायद ही कोई ऐसा वैद्य मिलेगा जो इसके फायदों से अनजान हो।
ऐसा माना जाता है कि त्रिफला शरीर के मेटाबॉलिज्म को संतुलित करने में मदद करता है और नियमित सेवन से शरीर को अंदर से डिटॉक्स करने में सहयोगी होता है। जब शरीर विषाक्त पदार्थों से मुक्त होता है, तो वह खुद को ज्यादा हल्का और सक्रिय महसूस करता है। यही प्रक्रिया वजन प्रबंधन में सहायक मानी जाती है।
3.त्रिफला खाएं और त्वचा व बालों को खुबसूरत बनायें :-
त्रिफला एंटीऑक्सीडेंट का एक समृद्ध स्रोत माना जाता है और इसमें नैचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इसके एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर में फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने में मदद करते हैं, जिससे त्वचा को अंदर से हेल्दी बनाए रखने में सहयोग मिलता है।
पारंपरिक रूप से त्रिफला का उपयोग साफ और चमकती त्वचा बनाए रखने, और एक्ने, पिगमेंटेशन जैसी समस्याओं को संतुलित करने के लिए किया जाता रहा है।
त्रिफला का सेवन और उपयोग बालों को पोषण देने में सहायक माना गया है। यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है, जिससे बाल स्वस्थ और घने दिख सकते हैं।
4. आंखों के लिए भी फायदेमंद है :-
आजकल हम दिनभर मोबाइल स्क्रीन में उलझे रहते हैं, जिससे आंखों में थकावट, जलन या अन्य परेशानियां होना आम बात हो गई है। ऐसे में आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से त्रिफला एक सहायक उपाय माना जाता है।
त्रिफला का सेवन पारंपरिक रूप से आंखों की देखभाल में उपयोगी समझा गया है। साथ ही, कई लोग त्रिफला के पानी से आंखें धोना भी लाभकारी मानते हैं। हालांकि इस तरह के प्रयोग से पहले विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना बेहद ज़रूरी है
5. त्रिफला खाएं और इम्यून सिस्टम को बढ़ाएं ( रोग प्रतिरोधक क्षमता ) :-
त्रिफला में नैचुरल एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने में सहायक माने जाते हैं। एक मजबूत इम्यून सिस्टम हमें बाहरी संक्रमणों और मौसमी बदलावों से बेहतर तरीके से निपटने में मदद करता है।
इसलिए परंपरागत रूप से त्रिफला का सेवन सेहत को संतुलित और बेहतर बनाए रखने के लिए किया जाता रहा है। आप भी इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
फायदे जानने के बाद हम जानते है की इसका यूज कैसे किया जाए

त्रिफला चूर्ण का उपयोग कैसे करें?
- पेट के लिए: रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।
- वजन संतुलन के लिए: सुबह खाली पेट, एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को शहद के साथ लेने की परंपरा रही है।
- त्वचा के लिए: त्रिफला चूर्ण का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाया जा सकता है। यह त्वचा को साफ और ताजगीभरा महसूस कराने में सहायक होता है।
- बालों के लिए: इसी पेस्ट में दही मिलाकर स्कैल्प पर लगाया जा सकता है, जिससे बालों को पोषण मिल सकता है।
- आयुर्वेद के अनुसार, त्रिफला का सेवन आमतौर पर खाली पेट करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, अलग-अलग वैद्य अलग-अलग स्वास्थ्य स्थितियों के अनुसार समय और मात्रा तय करते हैं, इसलिए किसी भी नियमित सेवन से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होता है।
त्रिफला चूर्ण के नुकसान
1. अत्यधिक सेवन से बचें :-
जिस तरह त्रिफला के सेवन से कई लाभ मिल सकते हैं, उसी तरह इसके अधिक सेवन से कुछ असुविधाएं भी हो सकती हैं। त्रिफला अपने आप में हानिकारक नहीं है, लेकिन अगर इसे जरूरत से ज्यादा मात्रा में लिया जाए तो यह पेट में गैस, बेचैनी या आंतों में असुविधा जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
इसलिए हमेशा यह जरूरी होता है कि त्रिफला का सेवन संतुलित मात्रा में और किसी योग्य विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार किया जाए।
2. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सावधानी :-
- गर्भवती महिलाओं के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन हमेशा चिकित्सकीय सलाह के बाद ही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह गर्भाशय को संकुचित कर सकता है, जिससे गर्भपात जैसी जटिलताएं उत्पन्न होने की आशंका हो सकती है।
- इसी तरह, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी त्रिफला का सेवन करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि यह दूध की मात्रा या गुणवत्ता पर प्रभाव डाल सकता है।
3. कमजोर व्यक्तियों के लिए सावधानी :-
शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को त्रिफला चूर्ण का सेवन शुरू करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह उनके लिए उपयुक्त है या नहीं।
त्रिफला चूर्ण एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे आप अपनी दिनचर्या में शामिल करके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं — बशर्ते इसका सेवन संतुलित मात्रा में और सही तरीके से किया जाए।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता और शिक्षा के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। यह किसी डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं है। इन चीजों के सेवन से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले कृपया अपने डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से परामर्श करें, विशेष रूप से यदि आपको मधुमेह, एलर्जी, या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है। इस जानकारी का उद्देश्य किसी बीमारी का निदान, इलाज, रोकथाम, या प्रबंधन करना नहीं है।
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